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कैसे एक सुई धागे की बदौलत रूमा देवी ने तय किया बाड़मेर से howard university तक का सफर।

                                                                                            img src: entrepreneur.com

Ruma Devi |रूमा देवी  :

बाड़मेर राजस्थान की रहने वाली रूमा देवी ने अपने घर खर्च को पूरा करने के लिए एक सुई धागे से सिलाई कढ़ाई की शुरुआत की थी, और देखते ही देखते 75 गांव की 22000 महिलाओं की जिंदगी को भी बदल डाला और साथ ही भारत की पारंपरिक हस्तकला को देश- विदेश में नई पहचान दिलाई। 

रूमा देवी जब केवल चाल केवल 4 साल की थी तो उनकी मां गुजर गई और आठवीं क्लास के बाद उनकी पढ़ाई छूट गई क्योंकि उनका स्कूल बहुत दूर था उन्होंने अपनी दादी के साथ रहकर थोड़ा बहुत कढ़ाई का काम सीखा था 17 साल की उम्र में रूमा देवी की शादी हो गई और शादी के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। 
डिलीवरी के 48 घंटे के अंदर रूमा देवी ने अपने बच्चे को खो दिया । जिससे वह पूरी तरह टूट गई थी और अपने गम से बाहर निकलने के लिए वह खुद को बिजी रखने का प्रयास करने लगी। 

रूमा देवी ज्यादा पढ़ी-लिखी तो थी नहीं इसलिए अभी समझ नहीं आया कि वह नौकरी करे तो करे कैसे फिर उन्होंने सोचा क्यों ना वह खुद का कोई काम करें अपनी दादी से उन्होंने कढ़ाई का थोड़ा काम सीखा था। 

रूमा देवी ने फिर हाथ से कढ़ाई की और हाथ से लेडीस बैग बनाने शुरू किए जिसमें राजस्थानी कड़ाई को वह किया करती थी बैग की सिलाई के लिए उनके पास सिलाई मशीन नहीं थी और इतने पैसे उनके पास थे नहीं तो उन्होंने पड़ोस की औरतों से बात की और उनके अब उनको अपने साथ जोड़ लिया और 10 महिलाओं का एक समूह बनाया और सो ₹100 जमा करके एक सिलाई मशीन खरीदी। 
लोगों ने बहुत डिमोटिवेट किया पर फिर भी उन्होंने अपने काम को नहीं छोड़ा घर-घर जाकर उन्होंने काम ढूंढना शुरू किया और एक ग्रामीण संस्था के साथ जोड़कर ऑर्डर लेना शुरू किया। 

जब उमा देवी को काम मिलने लगा तो फिर उन्होंने सोचा कि राजस्थान के अलग-अलग जगहों पर जो भी महिलाएं काम करना चाहती हैं उन्हें भी अपने साथ जोड़ा जाए और उन्होंने घर-घर जाकर महिलाओं से बात की और उन्हें भी अपने साथ जोड़ना शुरु किया और घर पर बैठे-बैठे ही उन्हें काम देना शुरू किया। इस तरह उनसे महिलाएं जुड़ती चली गई। और आज उन्होंने अपने साथ 22000 महिलाओं को भी अपने काम में जोड़ लिया है। 
जब रूमा देवी के समूह में महिलाओं की संख्या बढ़ती गई तो उन्हें काम ढूंढने में परेशानी होने लगी तब उन्होंने सोचा कि क्यों ना हम अपने प्रोडक्ट को एग्जिबिशन में लगाएं और वह इस एग्जीबिशन के ख्याल के साथ दिल्ली रफी मार्ग पहुंच गई और पहली स्टाल लगाई जिस से उनकी 10 से 15000 की सेल हुई। 
फिर अगली एग्जिबिशन में उनकी 11 लाख की सेल हुई और इस तरीके से उनके काम को बाहर भी पहचान मिलने लगी। पहले रूमा देवी बेड कवर,पिलो कवर, कुशन,हैंडबैग के साथ राजस्थान की परंपरागत कढ़ाई को अपने काम में ज्यादा फोकस में  रखा। लेकिन अपने काम को बढ़ाने के लिए उन्होंने पहनने के कपड़े भी सिलने शुरू करें उसके लिए उन्होंने फैशन शो में भी भाग लिया । राजस्थान के हेरिटेज वीक 2016 फैशन शो में उन्होंने अपने बनाए प्रोडक्ट की प्रदर्शनी लगाई जिससे कि बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों ने भी उनके काम की तारीफ करी और उनके काम को एक नई पहचान मिली। 

पुरुस्कार व सम्मान:

  • नारी शक्ति पुरस्कार(2018) 
  • श्रीलंका सरकार द्वारा शिल्पा अभिमन्यु पुरस्कार
  • टीएफआई डिज़ाइनर ऑफ द ईयर(2019) 
  • इंडिया टुडे वार्षिक अंक में कवर पेज पर स्थान
  • कौन बनेगा करोड़पति (2019)में शामिल होने का मौका
  • हावर्ड यूनिवर्सिटी में पैनलिस्ट के रूप में (2020) 
  • दुबई के खलीज टाइम्स
  • स्टेट ब्रांड एंबेसडर
  • गुडविल एंबेसडर, ट्राइब्स इंडिया
  • इंडियन आइडियल(2021) में 

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